व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सुधार करने के लिए घर पर नवग्रह शांति पूजा की जाती है।
जब भी कोई धर्मकार्य करना निश्चित होता हे उसको नैमित्तिक कार्य कहते हे। जैसे की, गर्भ धारण , गोद भराई, संतान जन्म ,मुंडन ,जनेऊ ,शादी का प्रसंग आये तब धार्मिक विधि करनी होती हे उसको नैमित्तिक कार्य कहते हे।
ऐसे नैमित्तिक कार्यो में ग्रहशांति करवानी अति आवश्यक है।
तदुपरांत वास्तुशांति, ख़राब योग में जन्मे हुए बालक की शांति एवं आदि शांति कर्म में एवं नवचंडी ,विष्णुयाग,महशुद्धि ,आदि बड़े काम्य कर्मो में ग्रहशांति की जाती है।
ऐसे ग्रहशांति बहुत महत्वपूर्ण विधि है।
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